सर्वस्व अखंड दाधीच समाज

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दधिमथी माता का मन्दिर

दाहिमा (दाधीच) ब्राह्मणों की कुलदेवी

दाहिमा (दाधीच) ब्राह्मणों की कुलदेवीदधिमथी माताहै।राजस्थान के नागौर जिले की जायल तहसील में गोठ मांगलोद गाँवो के समीप दधिमथी माता का भव्य मन्दिर विद्यमान है।

दाहिमा (दधीचक) ब्राह्मणों की कुलदेवी को समर्पित यह देव भवन भारतीय स्थापत्य एवं मूर्तिकला का गौरव है। श्वेत पाषाण से निर्मित यह शिखरबद्ध मंदिर पूर्वाभिमुख है तथा महामारु (Mahamaru) शैली के मंदिर का श्रेष्ठ उदाहरण है। वेदी की सादगी जंघा भाग की रथिकाओं में देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, मध्य भाग में रामायण दृश्यावली एवं शिखर प्रतिहारकालीन परम्परा के अनरूप है।

नागौर जिले की जायल तहसील में गोठ – मांगलोद

दाहिमा (दाधीच) ब्राह्मणों की कुलदेवीदधिमथी माताहै।राजस्थान के नागौर जिले की जायल तहसील में गोठ मांगलोद गाँवो के समीप दधिमथी माता का भव्य मन्दिर विद्यमान है।

दाहिमा (दधीचक) ब्राह्मणों की कुलदेवी को समर्पित यह देव भवन भारतीय स्थापत्य एवं मूर्तिकला का गौरव है। श्वेत पाषाण से निर्मित यह शिखरबद्ध मंदिर पूर्वाभिमुख है तथा महामारु (Mahamaru) शैली के मंदिर का श्रेष्ठ उदाहरण है। वेदी की सादगी जंघा भाग की रथिकाओं में देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, मध्य भाग में रामायण दृश्यावली एवं शिखर प्रतिहारकालीन परम्परा के अनरूप है।

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नागौर जिले की जायल तहसील में गोठ – मांगलोद
प्रमुख सेवा कार्य

सर्वस्व अखंड दाधीच समाज

दाधीच समाज के परिवारों को आपस में  जोड़ना , उनके आर्थिक और सामाजिक स्तर को उन्नत करना , दाधीच समाज के परिवारों के लिए नौकरी और शादी सम्बन्ध के लिए एक मंच तैयार करना , यहीं हमारा प्रमुख सेवा कार्य है समाज के लिए

सामाजिक मंच

दाधीच ब्राह्मण महर्षि दधीचि के वंशज हैं। दाहिम क्षेत्र से मूल उत्पत्ति होने के कारण इन्हें दाहिमा के रूप में भी जाना जाता है

आर्थिक मंच

दाधीच समाज के युवाओं के लिए रोजगार एवं उद्योग के नए आयाम खोलना और समाज का आर्थिक स्तर मजबूत बनाना है ,

वैवाहिक मंच

दाधीच समाज के  लिए वैवाहिक परामर्श केंद्र खोलना और समाज का वैवाहिक स्तर मजबूत बनाना है

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हमारे पूर्वज

हमारे आदर्श

दाधीच ब्राह्मण महर्षि दधीचि के वंशज हैं। दाहिम क्षेत्र से मूल उत्पत्ति होने के कारण इन्हें दाहिमा के रूप में भी जाना जाता है, इनकी कुलदेवी माँ दधिमथि है , ये दोनों ही सभी दधिचों के आदर्श और पूजनीय है

कुलदेवी माँ दधिमथि

भारतीय स्थापत्यकला एवं मूर्तिकला का गौरव, प्रतिहारकालीन मंदिर स्थापत्य मूर्तिकला का सुन्दर उदाहरण, प्राचीन भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्ट कला का प्रतिनिधित्व करता दाधीच समाज की कुलदेवी दधिमती माता का मंदिर राजस्थान के नागौर जिले के जायल कस्बे के पास गोठ मांगलोद गांव में स्थित है।

देह दानी महर्षि दधीचि

सभी दधीच ब्राह्मण ब्राह्मण जो ऋषि दधीचि के वंशज हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने वज्र बनाने के लिए अपनी हड्डियाँ दी थीं, जो राक्षस वृत्र / पुण्यसुर को
मारने के लिए बनाया गया पौराणिक हथियार है। दधीचि के पिता अथर्वन ने अंगिरस के साथमिलकर अथर्ववेद की रचना की थी।
ऋषि दधीच ऋग्वेद के पहले मंडल में एक किंवदंती हैं, और उनके सिंधु, सरस्वती क्षेत्र का दौरा करने

क्या आप भी तैयार है दाधीच समाज के लिए ?

आइये और जुड़िये दाधीच समाज के लिए नए आयाम और विस्तार के लिए ,त्याग और समपर्ण से समाज को पूर्ण विकसित और हर क्षेत्र में विकास के लिए , आज आप का समय पीढियों के लिए सुनहरे पल और अमिट स्मर्तियाँ  देगा , कोशिशे अक्सर कामयाब होती है , कल के मजबूत दाधीच समाज के लिए !